#daduji
|| दादूराम सत्यराम ||
"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)" लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान |
गोरक्षनाथजी ने उक्त वचन सुनकर ज्ञान, माणक को अपने गुरुदेव दादूजी का वचन स्मरण आ गया कि गुरुजी ने कहा था, तुमको पांच वर्ष व्यतीत होने पर महान् योगीराज गोरक्षनाथ जी के दर्शन होंगे | इस से दोनों उनको वास्तव में गोरक्षनाथजी जानकार अति प्रसन्न हुये और कहा - भगवन् ! आप तो समर्थ योगीराज हैं | आप ही केदार देश पधार करके वहां के निवासियों की हिंसा छुड़ाने की कृपा करें | योगीराज गोरक्षनाथजी ने कहा - यह कार्य प्रभु तुम्हारे ही द्वारा कराना चाहते हैं, इसका यश तुमको ही मिलेगा | ज्ञान, माणक ने पूछा - अच्छा यह तो बताइये, अब हमारे गुरुदेव दादूजी का दर्शन हमको कब होगा ? गोरक्षनाथजी ने कहा - जब पद्मसिंह की हिंसा तुम नहीं छुड़ा सकोगे, तब धर्या, जैमल और उसकी प्रजा तथा तुम सब मिलकर अनशन व्रत पूर्वक दादूजी से दर्शनार्थ प्रार्थना करोगे तब तुम्हारे गुरु दादूजी राजस्थान के आमेर नगर से योग शक्ति द्वारा आकर केदार देश में पद्मसिंह के पास देवी के मन्दिर में प्रकट होंगे, तब केदार देश के राजा प्रजादि सब को तथा तुमको भी दादूजी का दर्शन होगा | अब तुम सागर पार करके केदार देश टापू में जाओ | तुम्हारे और तुम्हारे गुरु दादूजी के उपदेश से केदार देश की जनता हिंसात्मक शक्ति की उपासना छोड़कर भगवद् भक्त हो जायगी | यह भविष्य का ज्ञान मुझे मेरी योग शक्ति से हो गया है | इत्यादिक बहुत सी बातें ज्ञानदास, मानकदास को बता कर योगीराज गोरक्षनाथजी दोनों के सामने अन्तर्धान हो गये | फिर ज्ञान, माणक भी अपने आगे के कार्यक्रम का विचार करने लगे |
(क्रमशः)

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