सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

#daduji
३५ ~ विनती का अंग ~ श्री दादूवाणी ~ http://youtu.be/BrzLHCMk0n4

मंगलाचरण
दादू नमो नमो निरंजनं, नमस्कार गुरुदेवतः ।
वन्दनं सर्व साधवा, प्रणामं  पारंगतः ॥ १ ॥

भ्रम विध्वंसन
सब देखणहारा जगत का, अंतर पूरै साखि ।
दादू साबित सो सही, दूजा और न राखि ॥ २ ॥

मांही तैं मुझ को कहै, अन्तरजामी आप ।
दादू दूजा धंध है, साचा मेरा जाप ॥ ३ ॥

कर्त्ता साक्षीभूत
करता है सो करेगा, दादू साक्षीभूत ।
कौतिकहारा ह्वै रह्या, अणकर्ता अवधूत ॥ ४ ॥

दादू राजस कर उत्पत्ति करै, सात्विक कर प्रतिपाल ।
तामस कर परलै करै, निर्गुण कौतिकहार ॥ ५ ॥

दादू ब्रह्म जीव हरि आत्मा, खेलैं गोपी कान्ह ।
सकल निरन्तर भर रह्या, साक्षीभूत सुजान ॥ ६ ॥

स्वकीय मित्र-शत्रुता
दादू जामण मरणा सान कर, यहु पिंड उपाया ।
साँई  दिया जीव को, ले जग में आया ॥ ७ ॥

दादू विष अमृत सब पावक पाणी, सतगुरु समझाया ।
मनसा वाचा  कर्मणा,  सोई फल  पाया ॥ ८ ॥

दादू जानै बूझै जीव सब, गुण औगुण कीजे ।
जान बूझ पावक पड़ै, दई दोष न दीजे ॥ ९ ॥

मन ही मांहीं ह्वै मरै, जीवै मन ही मांहि ।
साहिब साक्षीभूत है, दादू दूषण नांहि ॥ १० ॥

बुरा बला सिर जीव के, होवै इस ही मांहि ।
दादू कर्त्ता कर रह्या, सो सिर दीजै नांहि ॥ ११ ॥

साधु साक्षीभूत
कर्त्ता ह्वै कर कुछ करै, उस मांहि बँधावै ।
दादू उसको पूछिये, उत्तर नहीं आवै ॥ १२ ॥

दादू केई उतारैं आरती, केई सेवा कर जांहि ।
केई आइ पूजा करैं, केई खिलावें खांहि ॥ १३ ॥

केई सेवक ह्वै रहे, केई साधु संगति मांहि ।
केई आइ दर्शन करैं, हम तैं होता नांहि ॥ १४ ॥

ना हम करैं करावैं आरती, ना हम पिवैं पिलावैं नीर ।
करै करावै  सांइयाँ, दादू  सकल  शरीर ॥ १५ ॥

करै करावै सांइयाँ, जिन दिया औजूद ।
दादू बन्दा बीच में, शोभा को मौजूद ॥ १६ ॥

देवै लेवै सब करै, जिन सिरजे सब कोइ ।
दादू बन्दा महल में, शोभा करैं सब कोइ ॥ १७ ॥

कर्त्ता साक्षीभूत
दादू जुवा खेले जाणराइ, ताको लखै न कोइ ।
सब जग बैठा जीत कर, काहू लिप्त न होइ ॥ १८ ॥

इति श्री दादूदास-विरचिते सतगुरु-प्रसादेन प्रोक्तं भक्ति योगनाम तत्वसारमत-सर्वसाधुर्बुद्धिज्ञान-सर्वशास्त्र-शोधितं रामनाम सतगुरुशिक्षा धर्मशास्त्र-सत्योपदेश-ब्रह्मविद्यायां मनुष्य जीवनाम् नित्य-श्रवणं पठनं मोक्षदायकम् श्री दादूवाणीनाम् माहात्म्य पैंतीसवां साक्षीभूत का अंग सम्पूर्ण ॥ अंग ३५ ॥ साखी १८ ॥

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