#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*राम जी तूँ मोरा हौं तोरा,*
*पाइन परत निहोरा ॥टेक॥*
*एकै संगैं वासा,*
*तुम ठाकुर हम दासा ॥१॥*
*तन मन तुम कौं देबा,*
*तेज पुंज हम लेबा ॥२॥*
*रस माँही रस होइबा,*
*ज्योति स्वरूपी जोइबा ॥३॥*
*ब्रह्म जीव का मेला,*
*दादू नूर अकेला ॥४॥*
*(#श्रीदादूवाणी ~ पद. ४०७)*
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साभार : @Yog Shaurya ~
विराट को मांगो :
मांगना है तो विराट को मांगो क्षुद्र को क्यों मांग रहे हो....मैं चाहता हूं कि तुम्हारा पूरा जीवन वसंत सा खिल उठे और तुम हो कि एक फूल के पीछे पड़े हो । तुम इक्के - दुक्के फूलों की मांग मत करो, नहीं तो पीछे पछताओगे और रोओगे कि विराट हो सकता था यह जीवन और मैं छोटे की मांग करता रहा।
रस तो अनंत था, अंजुरी भर ही पिया
जीवन में वसंत था, एक फूल ही दिया
मिटने के दिन आज मुझको यह सोच है
कैसे बड़े युग में कैसा छोटा जीवन जिया !
------osho

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