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द्वितीय भाग : शब्दभाग(उत्तरार्ध)
राग केदार ६( गायन समय संध्या ६ से ९ बजे)
टीका ~ महामण्डलेश्वर ब्रह्मनिष्ठ पंडित श्री स्वामी भूरादास जी
साभार विद्युत संस्करण ~ गुरुवर्य महामंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमाराम जी महाराज
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१३७. उपदेश । त्रिताल ~
सजनी ! रजनी घटती जाइ ।
पल पल छीजै अवधि दिन आवै,
अपनो लाल मनाइ ॥टेक॥
अति गति नींद कहा सुख सोवै,
यहु अवसर चलि जाइ ।
यहु तन विछुरैं बहुरि कहँ पावै,
पीछे ही पछिताइ ॥१॥
प्राण - पति जागे सुन्दरि क्यों सोवे,
उठ आतुर गहि पाइ ।
कोमल वचन करुणा कर आगे,
नख शिख रहु लपटाइ ॥२॥
सखी सुहाग सेज सुख पावै,
प्रीतम प्रेम बढ़ाइ ।
दादू भाग बड़े पीव पावै,
सकल शिरोमणि राइ ॥३॥
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टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव इसमें बुद्धि - वृत्ति रूप सखी को उपदेश कर रहें हैं कि हे हमारी बुद्धि वृत्ति रूप सहेली ! उम्र रूपी रात्रि पल - पल में घटती जा रही है । और अन्त समय का दिन नजदीक आ रहा है । अपने प्रीतम प्यारे परमेश्वर को राजी कर ले ।
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मोह रूप निद्रा में बेहोश होकर क्या सुख से सोती है ? यह भजन करने का जवानी रूप अवसर तो बीता जा रहा है । यह मनुष्य देह हाथ से छूट जायेगा तो फिर ऐसा शरीर चौरासी में कहाँ मिलेगा ? चौरासी में जाकर, फिर पीछे पश्चात्ताप करना पड़ेगा ।
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प्राणों को सत्ता स्फुर्ति देने वाला परमेश्वर रूप पति तो जागता है, और तूँ बुद्धि रूप सुन्दरी क्यों सो रही है ? अब मोह रूप निद्रा से उठ और अति आतुर होकर परमेश्वर के चरणों की शरण ग्रहण कर और नख से शिखा पर्यन्त, सारे शरीर को शुभ कर्मों द्वारा परमेश्वर के लिपट कर रह । ऐसी बुद्धि रूपी सखी, हृदय रूपी सेज पर परमेश्वर के दर्शन रूप सुहाग को प्राप्त होती है । उन्हीं से प्रीतम प्यारे परमेश्वर बढ़ाकर प्रेम करते हैं । ऐसी साधक संत आत्मा सुन्दरी का बड़ा भारी भाग्य उदय हुआ है, जो सर्व के शिरोमणि राजन् पतराजा, मुखप्रीति का विषय परमात्मा पीव को प्राप्त कर लिया है ।
आपदः क्षणमायान्ति क्षणमायान्ति सम्पदः ।
क्षणं जन्म क्षणं मृत्यु र्मुने ! किमिव न क्षणम् ॥ १३७ ॥
हे मुने ! यहाँ क्षण में आपत्तियाँ और क्षण के सम्पत्तियाँ आती हैं, क्षण में जन्म और क्षण में मृत्यु होती है । संसार में कौनसी वस्तु क्षणिक नहीं है ।
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O maiden, the night is running out;*
Moment by moment it is waning,
And the terminal line is approaching.
Please your Beloved –
Why are you sleeping so soundly in comfort?
This opportunity is gliding by.
If you miss Him in this body,
where else will you find Him again?
You will repent later on.
Your Beloved is awake –
Why is the beautiful maiden asleep?
Hurry, wake up and clasp His feet.
Humbly approach Him
And embrace Him from head to foot.
Kindle love for the Beloved and enjoy its bliss,
O fortunate bride.
It is a great good fortune, says Dadu,
To obtain such a beloved, the Supreme Lord of all.
*The time for meeting the beloved.
(English translation from ~
"Dadu~The Compassionate Mystic"
by K. N. Upadhyaya~Radha Soami Satsang Beas)
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