सोमवार, 2 मार्च 2015

#daduji 
|| दादूराम सत्यराम ||
"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)" लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान |
जब दादूजी ने ब्राह्मण पंडितों की तथा काजियों की बातें नहीं मानी तब उन लोगों ने मिलकर विचार किया - अब क्या करना चाहिये ? फिर विविध विचार के अंत में यह निश्चय किया - सरकार से मिलकर ऐसा आदेश निकलवाना चाहिये, जिससे दादू के पास कोई नहीं जा सके | परंतु इसके लिये प्रथम सांभर की जनता का बहुमत भी प्राप्त करना परम आवश्यक है | फिर बहुमत प्राप्त करने के लिये ब्राह्मण पंडितों ने - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य आदि हिन्दू जातियों में और काजियों ने मुसलमानों में यह प्रचार करना आरंभ किया - "दादू के जो जाते हैं, वे उनके समान ही होने की चेष्टा करते हैं | यदि हमारे युवक दादू के पास जाने से विरक्त होकर घर छोड़ देंगे तो उनके माता पिता को कितना दुःख होगा, यह प्रत्येक माता पिता समझ सकता है | इससे दादू के पास जाना बन्द करना हम सबका कर्तव्य हो जाता है | अतः हम सब मिलकर सरकार से एसा आदेश निकलवावें जिससे जनता का दादू के पास जाना रुक जाय | जब दादू के पास कोई नहीं जायगा तब वे लोग हमारे पास आयेंगे तब हम तो अपने अपने धर्म का उपदेश देकर अपने अपने घर में रहने का ही परामर्श देंगे | 
= निषेधाज्ञा निकालना = 
इस प्रकार के प्रचार से अभक्त जनता ने उनका साथ दिया और सब मिलकर सांबर के शासक सिकदार(अफसर) के पास गये | सांभर का मुसलमान शासक सिकदार(अफसर) भी मुसलमान होने से दादूजी का यश भक्तों द्वारा सुनकर सहन नहीं कर पाता था और सोचता रहता था कि अवसर आने पर दादू की खबर एक दिन अवश्य लेनी है अर्थात् दंड देना है | क्योंकि उसने हमारे नगर में आकर हिन्दू तथा मुसलमान दोनों के ही धर्म मार्गों को त्याग करके अपनी मन मुखता का मार्ग अपनाया है | इस प्रकार के विचार सिकदार करता ही रहता था कि उन्हीं दिनों में हरि विमुख नगर के लोगों ने सिकदार को दादूजी के विपरीत भड़काया और निषेध आज्ञा निकलवाने का परामर्श दिया | वह तो चाहता ही था | अब उसको अच्छा अवसर मिल गया | उसने उन लोगों के कथनानुसार ही निषेध आज्ञा निकलवाने की स्वीकृति दे दी | फिर उन हरि विमुख सर्व की संमति से यह निषेधाज्ञा दी गई -
"जो कोऊ दादू के जह है | सैके पांच रूपया दे है |" 
जो दादू के पास जायगा उसको ५००) पाँच सौ रूपये दंड भरना होगा | फिर उक्त निषेधाज्ञा की नगर के प्रत्येक मुहल्लों में घोषणा कर दी गई | 
(क्रमशः)

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