गुरुवार, 5 मार्च 2015

= २८ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू चिन्ता राम को, समर्थ सब जाणै ।
दादू राम संभाल ले, चिंता जनि आणै ॥
===================
साभार : Kripa Shankar B ~
तेरे फूलों से भी प्यार तेरे काँटों से भी प्यार ----
==================
हे प्रभु, तूँ ही समस्या है और तूँ ही समाधान है| तुमने जहाँ भी और जैसे भी रखा है वहीं तुम्हे आना ही पड़ेगा| तुम्हारे लिए अन्य कोई विकल्प भी नहीं है| तुम्हारे प्रेमाश्रय के अतिरिक्त हमें और कुछ भी नहीं चाहिए| तुम्हारा प्रेम मिल गया तो हमें सब कुछ मिल गया है अन्यथा कुछ भी नहीं है| तुम सदा हमारे कूटस्थ ह्रदय में हो| अपने चरणों में हमें आश्रय दो|
.
एक छिपा हुआ चुम्बकत्व भक्त के चारों ओर व्याप्त हो जाता है| उस चुम्बकत्व का आकर्षण ही दूसरों को उस की ओर आकर्षित करता है| उस चुम्बकत्व को ही बोलने दो| स्वयं कुछ ना बोलो अपनी भक्ति के बारे में, अन्यथा अहंकार और पतन अवश्यंभावी है|
भक्त को भगवान की प्रत्यक्ष अनुभूति से दिव्य आनन्द की प्राप्ति होती है| यह दिव्य आनंद ही उसे उसकी सर्वव्यापकता की अनुभूति करता है| भक्ति से ही समर्पण होता है| समर्पण से अन्य समस्त गुण खिंचे चले आते हैं|
.
भक्ति और प्रेम को किसी की साक्षी या सबूत की आवश्यकता नहीं है| इसको सिद्ध भी नहीं किया जा सकता| इसको सिद्ध करने का प्रयास भी ढोंग को जन्म देता है| यह भक्त और भगवान के बीच का निजी मामला है| किसी अन्य के व्यवधान की या साक्षी की इसमें कोई आवश्यकता नहीं है| भगवान की भक्ति सिर्फ भगवान के लिए है ना कि किसी अन्य को प्रभावित करने के लिए| अतः भक्त को अपनी भक्ति दुनिया से छिपानी चाहिए| भूल से भी उसका प्रदर्शन नहीं करना चाहिए|
.
एक भक्त अपनी महिमा का कभी बखान नहीं करता| जो स्वयं को महिमामंडित करता है वह भक्त नहीं बल्कि व्यापारी है| उसने भक्ति का व्यापार बना रखा है| भक्त कभी किसी बौद्धिक वाद-विवाद में पड़ने या अपना पक्ष सिद्ध करने का प्रयास नहीं करता| भगवान से प्रत्यक्ष सम्बन्ध ही उसके लिए महत्वपूर्ण है ना कि अहंकार प्रदर्शन या अपना स्वयं का महिमा मण्डन|
.
भगवान के भक्त को किसी तरह की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह अपना सब कुछ भगवान को अर्पित कर चुका होता है| जो भी हानि-लाभ होगा वह भगवान का ही होगा, स्वयं का नहीं| जब चारों ओर आज जैसा अन्धकार हो तो भी भगवान में अटूट श्रद्धा रहनी चाहिए| सांसारिकता का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए| भगवान हमारी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है| उसे हमारी रक्षा करनी ही पड़ेगी|
भक्त और भगवान की जय|

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें