#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*तन मन इन्द्रिय वशीकरण,*
*ऐसा सद्गुरु शूर ।*
*शंक न आने जगत की,*
*हरि सों सदा हजूर ॥*
*समदृष्टी शीतल सदा,*
*अदभुत जाकी चाल ।*
*ऐसा सतगुरु कीजिये,*
*पल में करे निहाल ॥*
*तौ करै निहालं, अद्भुत चालं,*
*भया निरालं तजि जालं ।*
*सो पिवै पियालं, अधिक रसालं,*
*ऐसा हालं यह ख्यालं ॥*
*पुनि बृद्ध न बालं, कर्म न कालं,*
*भागै सालं चतुराशी ।*
*दादू गुरु आया, शब्द सुनाया,*
*ब्रह्म बताया अविनाशी ॥*
https://youtu.be/AlLknQ5yWww
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साभार : Ramjibhai Jotaniya ~
॥ ॐ श्रीं ब्रह्मांड स्वरूपायै निखिलेश्वरायै नमः ॥
प्रश्न- गुरु किसे बनाना चाहिये?
उत्तर - जो ईधन रहित अग्नि के सामान शांत हो अर्थात जो अग्नि स्वरुप हो पर उसका तेज किसी को जलाने वाला न हो अपितु शांत हो, कल्याणकारी हो. कोई भी कामना आसक्ति नहीं हो.
जहाँ कोई शुल्क नहीं लिया जाता हो. जहाँ मन वाणी और कर्म से आपसे कोई उपहार और भेंट की कामना नहीं की जाती हो. जहाँ किसी भी वस्तु का व्यापार नहीं होता हो. जो सदा ब्रह्म स्वभाव में स्थित रहते हों. जहाँ बिना किसी कारण के कृपा और दया की जाती हो. जिनका चित्त न डोलता हो. जो आडम्बर विहीन हों.
जो बनावटी श्रृंगार न करते हों. जो साधू असाधू के लिए सम भाव रखते हों. जो ज्ञान मार्ग का अनुसरण करते हों. जो जानते हों कि परमात्मा का प्रकृति से बंधन अज्ञान के कारण है. जो आत्म और अनात्म तत्त्व को भली भांति जानते हों. जो निंदा स्तुति में सामान रहते हों.
जिन से आप बिना रोक टोक के सदा सरलता से मिल सकते हों. जो स्वयं में वी वी आई पी आडम्बर से दूर हों. जो उपाधि से व्याधि की तरह व्यवहार करते हों. जिनका आचरण चोबीस घंटे खुला हो, जिनका क्रोध और शान्ति बच्चे की तरह हो.
...नमो निखिलम...
......नमो निखिलम......
........नमो निखिलम........

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