सोमवार, 30 मार्च 2015

#‎daduji‬
|| दादूराम सत्यराम ||
"श्री दादू चरितामृत(भाग-१)" लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान |

- अथ अष्टम बिन्दु -
= गरीबदासादि का जन्म = 
फिर सुखदेव तथा आनन्दराम ने उन दोनों का सांभर में रहने योग्य सब प्रबन्ध कर दिया | और बीठलव्यास के घर उनको रखकर तथा यह कहकर कि हम इनके लिए अहमदाबाद से धन भेजते रहेंगे, इनको किसी प्रकार का कष्ट नहीं होना चाहिये | तब बीठलव्यास और दामोदर दाधीच ने कहा - आप निश्चित रहें, ये जैसे घर पर रहती थीं वैसे ही यहाँ रहेंगी | हम पूर्णतः इनका ध्यान रखेंगे | फिर आनन्दराम आदि सब अपने-अपने घर चले गये | फिर वे दोनों सत्संग के समय प्रतिदिन आती थीं और सत्संग करके चली जाती थीं | वे कभी बीठलव्यास के और कभी दामोदर दाधीच के घर इच्छानुसार रहा करती थीं | बीठलव्यास और दामोदर दाधीच दोनों ही उनका पूरा-पूरा ध्यान रखते थे | फिर वि. सं. १६३२ के श्रावण शुक्ला द्वितीया को गरीबदासजी का जन्म नान्ही माताजी के गर्भ से हुआ | फिर वि.सं. १६३४ आषाढ़ शुक्ला १५ को मसकीनदासजी का जन्म हुआ | वि. सं. १६३६ श्रावण शुक्ला द्वितीया को युगल(एक साथ) दो बाइयों का जन्म हुआ | उनके नाम सभाकुमारी और रूपकुमारी रखे गये थे | आगे बड़ी हो जाने पर संत इन को रामकुमारी, श्यामकुमारी कहा करते थे | उक्त चारों संतान हरि आज्ञा से दादूजी के वर देने पर महायोगेश्वर दादूजी की इच्छा मात्र से ही हुई थी | कैसे ? 
जैसे ब्रह्मा ने सनकादिक आदि की सृष्टि मन की इच्छा मात्र से ही मानस सृष्टि की थी और विश्वामित्र ने अपनी इच्छा से तपोबल द्वारा सृष्टि रची थी | एक हजार कन्याओं के सहित अद्भुत विमान की कर्दम ने मानसी सृष्टि तपोबल से ही की थी | वसिष्ठ ने नभ में मानसी सृष्टि रूप कुटिया तपोबल से ही रची थी | मत्सेन्द्रनाथजी ने गोरक्षनाथ की उत्पत्ति तपोबल से मन के द्वारा ही की थी | युवानाश्व के पेट से मान्धाता का जन्म इतिहास में अति प्रसिद्ध है | महाभा, वनप. १२६|२७ - २८ | 

(क्रमशः)

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