गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

= ९९ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
तुम को हमसे बहुत हैं, हमको तुमसे नांहि ।
दादू को जनि परिहरै, तूँ रहु नैंनहुँ मांहि ॥
*तुम को भावै और कुछ, हम कुछ किया और ।*
*मिहर करो तो छूटिये, नहीं तो नांहीं ठौर ॥*
मुझ भावै सो मैं किया, तुझ भावै सो नांहि ।
दादू गुनहगार है, मैं देख्या मन मांहि ॥
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@राकेश पुरी via Love Shree Krishna ~
गोविन्द मेरी यह प्रार्थना है,
भूलूँ न मैं नाम कभी तुम्हारा ॥
निष्काम हो कर दिन रात गाऊँ,
गोविन्द दामोदर माधवेती ॥

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