शनिवार, 11 अप्रैल 2015

सगुणा गुण केते करै, निगुणा न मानै कोइ ।
दादू साधु सब कहैं, भला कहाँ तैं होइ ॥ 
सगुणा गुण केते करै, निगुणा न मानै नीच ।
दादू साधू सब कहैं, निगुणा के सिर मीच ॥ 
साहिबजी सब गुण करै, सतगुरु के घट होइ ।
दादू काढे काल मुख, निगुणा न मानै कोइ ॥
साहिबजी सब गुण करै, सतगुरु मांही आइ ।
दादू राखै जीव दे, निगुणा मेटै जाइ ॥ 
साहिबजी सब गुण करै, सतगुरु का दे संग ।
दादू परलै राखिले, निगुणा न पलटै अंग ॥ 
साहिब जी सब गुण करै, सतगुरु आडा देइ ।
दादू तारै देखतां, निगुणा गुण नहिं लेइ ॥

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