सोमवार, 29 जून 2015

= ४० =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
ताला बेली प्यास बिन, क्यों रस पीया जाइ ।
विरहा दर्शन दर्द सौं, हमको देहु खुदाइ ॥
ताला बेली पीड़ सौं, विरहा प्रेम पियास ।
दर्शन सेती दीजिये, बिलसै दादू दास ॥ 
=================
साभार : राधा शरण दास ~
जिसके भीतर प्यास होती है, उसे ही जल दीखता है l प्यास न हो तो जल सामने रहते हुए भी दीखता नहीं l ऐसे ही जिसके भीतर परमात्मा की प्यास (लालसा) है, उसे परमात्मा दीखते हैं और जिसके भीतर संसार की प्यास है, उसे संसार दीखता है l परमात्मा की प्यास हो तो संसार लुप्त हो जाता है और संसार की प्यास हो तो परमात्मा लुप्त हो जाते हैं l परमात्मा की प्यास जाग्रत होने पर भक्त को भूतकाल का चिन्तन नहीं होता, भविष्य की आशा नहीं रहती और वर्तमान में उसे प्राप्त किये बिना उसे चैन नहीं पड़ता l
जय जय श्री राधे !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें