बुधवार, 1 जुलाई 2015

= ४३ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू जोति चमकै तिरवरे, दीपक देखै लोइ |
चन्द सूर का चान्दणा, पगार छलावा होइ ||११७||
टीका ~ हे जिज्ञासुओं ! यह माया ज्योतिरूप से चमके और तिरवरे रूप जैसी लौ, चन्द्रमा और सूर्य जैसा प्रकाश, ‘पगार’ कहिए पीले बादलों जैसा चमकीला रूप, छलावा जैसा स्वरूप बनाकर परमेश्‍वर के भक्तों को छलने आती है, परन्तु परमेश्‍वर के अनन्य भक्त, इसको माया जान कर इसके छल - कपट से मुक्त रहते हैं और परमेश्‍वर को ही भजते हैं ||११७||
सात चरित्र माया किये, गुरु दादू ढिंग आइ |
तासन या साखी कही, गई चरण सिर नाइ ||
दृष्टान्त ~ करड़ाला में माया सात रूप बनाकर ब्रह्मऋषि के पास छलने को आई | ब्रह्मऋषि माया के छलावे में नहीं आये, तब माया नत मस्तक होकर अर्थात् नमस्कार करके चली गई |
(श्री दादू वाणी~माया का अंग)

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