बुधवार, 29 जुलाई 2015

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卐 सत्यराम सा 卐
सारों के सिर देखिये, उस पर कोई नांहि ।
दादू ज्ञान विचार कर, सो राख्या मन मांहि ॥
सब लालों सिर लाल है, सब खूबों सिर खूब ।
सब पाकों सिर पाक है, दादू का महबूब ॥
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साभार : Gauri Mahadev ~
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भगवान् श्रीकृष्ण के षड - ऐश्वैर्य :::
धन -- बल-- यश-- सौन्दर्य-- ज्ञान -- वैराग्य हैं ।
धन - भगवान् श्री कृष्ण जब प्रकट हुए तब उनके दिव्य शरीर पर उच्चतम गुणवत्ता के सोने और हीरे के नाना प्रकार के आभूषण थे ।
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बल - भगवान् श्रीकृष्ण प्रागट्य के समय बिना कुछ करे वासुदेव के हाथों और पैरों की बेड़ियाँ तथा कारागार के सभी द्वार-ताले अपने आप खुल गए थे ।
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यश - भगवान् श्री कृष्ण प्रागट्य के समय ब्रम्ह-लोक में निवास करने वाले ब्रम्हा जी, सभी लोकों के देवगण और देवर्षि नारद मुनि स्वयं श्रीभगवान् की स्तुति करने हेतु प्रागट्य स्थान पर पहुंचे ।
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सौन्दर्य - भगवान् श्री कृष्ण के सौन्दर्य की तो बात ही क्या कहनी । काला रंग प्रकाश को सोख लेता है । लेकिन श्रीभगवान् का रूप मेघवर्ण है अर्थात अर्ध-काला और अर्ध-नीला है (अंग्रेज़ी में bluish-black) । उनके शरीर से दिव्य तेज निकल रहा था जो कि उच्च कोटि के सौन्दर्य को दर्शा रहा था ।
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ज्ञान - श्रीभगवान् ने प्रकट होते ही अपने माता-पिता को ज्ञान देना शुरू कर दिया और यह बतलाया कि तीन जन्म पहले उन्होंने श्री भगवान् को तीन जन्मों तक उनके जैसे पुत्र की कामना की । श्रीभगवान् के अलावा और कोई दूसरा नहीं है अर्थात वे अद्वितीय हैं ।
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वैराग्य - श्रीभगवान् को जब नन्द बाबा के घर मैया यशोदा के पास ले जाया जा रहा था तब उन्हें एक बार भी मैया देवकी का मोह न सताया । परम-वैराग्य की साक्षात मूरत हैं श्री कृष्ण ।
_/\_ हरे कृष्ण _/\_

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