#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
साहिब जी की आत्मा, दीजे सुख संतोंष ।
दादू दूजा को नहीं, चौदह तीनों लोक ॥
दादू जब प्राण पिछाणै आपको, आत्म सब भाई ।
सिरजनहारा सबनि का, तासौं ल्यौ लाई ॥
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साभार ~ NP Pathak
~ दीन दुखियो की सेवा....
एक बार गुरु नानक देव जी जगत का उद्धार करते हुए एक गाँव के बाहर पहुँचे; देखा वहाँ एक झोपड़ी बनी हुई थी ! उस झोपड़ी में एक आदमी रहता था जिसे कुष्ठ - रोग था ! गाँव के सारे लोग उससे नफरत करते; कोई उसके पास नहीं आता था ! कभी किसी को दया आ जाती तो उसे खाने के लिये कुछ दे देते अन्यथा भूखा ही पड़ा रहता !
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नानक देव जी उस कोढ़ी के पास गये और कहा - भाई हम आज रात तेरी झोपड़ी में रहना चाहते हैं अगर तुम्हें कोई परेशानी ना हो तो ? कोढ़ी हैरान हो गया क्योंकि उसके तो पास भी कोई आना नहीं चाहता था फिर उसके घर में रहने के लिये कोई राजी कैसे हो गया ? कोढ़ी अपने रोग से इतना दुखी था कि चाह कर भी कुछ ना बोल सका; सिर्फ नानक देव जी को देखता ही रहा ! लगातार देखते - देखते ही उसके शरीर में कुछ बदलाव आने लगा, पर कुछ कह नहीं पा रहा था !
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नानक देव जी ने मरदाना को कहा - रबाब बजाओ ! नानक देव जी ने उस झोपड़ी में बैठ कर कीर्तन करना आरम्भ कर दिया ! कोढ़ी ध्यान से कीर्तन सुनता रहा ! कीर्तन समाप्त होने पर कोढ़ी के हाथ जुड़ गये जो ठीक से हिलते भी नहीं थे ! उसने नानक देव जी के चरणों में अपना माथा टेका !
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नानक देव जी ने कहा - और भाई ठीक हो; यहाँ गाँव के बाहर झोपड़ी क्यों बनाई है ? कोढ़ी ने कहा - मैं बहुत बदकिस्मत हूँ, मुझे कुष्ठ रोग हो गया है ! मुझसे कोई बात तक नहीं करता, यहाँ तक कि मेरे घर वालों ने भी मुझे घर से निकाल दिया है ! मैं नीच हूँ इसलिये कोई मेरे पास नहीं आता !
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उसकी बात सुन कर नानक देव जी ने कहा - नीच तो वो लोग है जिन्होंने तुम जैसे रोगी पर दया नहीं की और अकेला छोड़ दिया ! आ मेरे पास, मैं भी तो देखूँ कहाँ है तुझे कोढ़ ? जैसे ही कोढ़ी नानक देव जी के नजदीक आया तो प्रभु की ऐसी कृपा हुई कि कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया ! यह देख वह नानक देव जी के चरणों में गिर गया !
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गुरु नानक देव जी ने उसे उठाया और गले से लगा कर कहा - प्रभु का स्मरण करो और लोगों की सेवा करो; यही मनुष्य के जीवन का मुख्य कार्य है !
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