#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
हमारो मन माई ! राम नाम रंग रातो ।
पिव पिव करै पीव को जानै, मगन रहै रस मातो ॥टेक॥
सदा सील संतोष सुहावत, चरण कँवल मन बाँधो ।
हिरदा माँही जतन कर राखूँ, मानों रंक धन लाधो ॥१॥
प्रेम भक्ति प्रीति हरि जानूं, हरि सेवा सुखदाई ।
ज्ञान ध्यान मोहन को मेरे, कंप न लागे काई ॥२॥
संगि सदा हेत हरि लागो, अंगि और नहिं आवे ।
दादू दीन दयाल दमोदर, सार सुधा रस भावे ॥३॥
===================
साभार : Krishna Akarshini ~
.
जिस महामंत्र को स्वयं शिव जी भी जपा करते है भगवान शबरी जी से पांचवी भक्ति के बारे में कह रहे है -
"मंत्र जाप मम दृढ बिस्वासा, पंचम भजन सो बेद प्रकासा"
अर्थात - मेरे मंत्र का जाप और मुझमे दृढ विश्वास यह पांचवी भक्ति है.जो वेदों में प्रसिद्ध है.यहाँ "दृढ विश्वास" विशेषता लगा दी। यदि हम पहली ४ भक्ति और पीछे की चार भक्ति दोनों को तराजू में रखे, तो बीच में ये पांचवी भक्ति अपने आप प्रकट हो जाती है।
.
अर्थात संतो का संग, भगवान की कथा प्रसंग, गुरु चरणों की सेवा, और भगवान का गुणगान। ये चारों भक्ति आते ही, भगवान के मंत्र जाप में(हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे) अपने आप दृढ विश्वास हो जाता है, अर्थात पांचवी भक्ति अपने आप प्रकट हो जाती है, और पिछली चार भक्ति करने की भी आवश्यकता नहीं होती।
.
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती।
सादर जपहु अनँग आराती॥
अर्थात - पार्वती जी शिव जी से कह रही है -
आप भी दिन-रात आदरपूर्वक राम-राम जपा करते हैं -
'महामंत्र सोई जपत महेसू,
काशी मुक्ति हेतु उपदेसू'
अर्थात - जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस 'राम' नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं .
"जान आदि कबि नाम प्रतापू,
भयउ सुद्ध करि उलटा जापू
सहस नाम सम सुनि सिव बानी,
जपि जेईं पिय संग भवानी"
अर्थात - आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम('मरा', 'मरा') जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति(श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं।
.
जिस घर में कोई नहीं रहता, उस घर की घंटी नहीं बजायी जाती, और यदि घर में कोई रहता है तो शायद सो रहा हो, बाथरूम में हो। इसी तरह हम भजन कर रहे है, नाम जप कर रहे है, इसका अर्थ ही ये है की भगवान सुन रहा है, यदि सुन नहीं रहा होता तो हम भजन ही ना कर रहे होते।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें