शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

= ९८ =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
"सुन्दर" सद्गुरु यों कहें,
भम ते भासे और ।
सीपि मांहि रूपौ द्रसे,
सर्प रज्जु की ठौर ॥
रज्जु मांहि जैसे सर्प भासे,
सीपि में रूपौ यथा ।
मृग तृष्णा का जल बुद्धि देखे,
विश्व मिथ्या है तथा ॥
जिनि लह्यो बमह्म अखंड पद,
अद्वैत सब ही ठाम हैं ।
दादूदयालु प्रसिद्ध सद्गुरु,
ताहि मोर प्रणाम हैं ॥
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साभार : Rp Tripathi ~
**चैन की स्वांश कैसे लें ? :: पिछले आलेख से आगे :**
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चैन की स्वांश में स्थित होने के लिए हमें, दो शब्दों को समझना परम-आवश्यक है !! एक है सत, दूसरा है असत !! और जो सत में स्थित है, उसकी स्वांश चैन की स्वांश है, और जो असत में, उसकी बेचैन की !! सत वह है जो तीनों कालों में एक समान विद्यमान है; और असत वह है, जिसका किसी भी काल में अस्तित्व नहीं है; उसकी प्रतीति, मात्र भ्र्म है !!
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उदाहरणार्थ :
मृग को रेगिस्तान में, गर्मी के दिनों में दोपहर में, सिर्फ उस स्थान को छोड़, जहाँ वह खड़ा है; अन्य सभी स्थानों पर, पानी दिखाई देता है !! और वह सोचता है, यदि मैं वहाँ, उस दूर स्थान तक पहुँचने का पुरुषार्थ करूँ, तो मुझे पानी मिल जाएगा !! और वह इस भ्रम-युक्त धारणा के साथ, पूरे रेगिस्तान का चक्कर लगाता है, परन्तु उसकी स्थिति में, कभी कोई परिवर्तन नहीं होता !!
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अर्थात, उसे कभी वहां, जहाँ खड़ा है, पानी दिखाई नहीं देता !! हमेशा दूर ही दिखाई देता रहता है !! और वह अतृप्त अवस्था में ही प्राण छोड़ देता है !! क्योंकि सत्य तो यह है कि -- जब भी उसकी प्यास बुझेगी, हमेशा पास में दिखने वाले पानी से ही बुझेगी !! इस असत को, मृग-मरीचका भी कहते हैं !! और जिस तरह मृग के लिए, मृग-मरीचका होती है, उसी तरह, माया-बद्ध जीव के लिए, माया-मरीचका होती है !!
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अर्थात उस व्यक्ति को भी, वर्तमान में जो उसके पास उपलब्ध है, उसमें तृप्ति नहीं दिखाई देती !! उसे भी, वर्तमान क्षण से दूर, भूत-काल या भविष्काळ में(ये था तब में सुखी था, ये हो जायेगा तब में सुखी हो जाऊंगा,) में ही, तृप्ति दिखाई देती है !! और वह मृग की भांति, जीवन-भर, असफल प्रयास करता हुआ, अतृप्त ही मर जाता है !!
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क्योंकि, सत्य तो यही है कि जब भी किसी भी व्यक्ति को तृप्ति मिलेगी, वर्तमान में ही मिलेगी !! और वर्तमान तो उपलब्ध है ही !! वर्तमान को ही आध्यात्मिक भाषा में, सत अर्थात परमात्मा(आत्मा-राम) कहते हैं !! PRESENT IS PRESENCE ...!!
********ॐ कृष्णम वन्दे जगत गुरुम********

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