💐💐 #daduji 💐💐
॥ श्री दादूदयालवे नम:॥
३५१. त्रिताल ~
आज प्रभात मिले हरि लाल ।
दिल की व्यथा पीड़ सब भागी, मिट्यो जीव को साल ॥ टेक ॥
देखत नैन संतोष भयो है, इहै तुम्हारो ख्याल ॥ १ ॥
दादू जन सौं हिल - मिल रहिबो, तुम हो दीन दयाल ॥ २ ॥
टीका ~ ब्रह्मऋषि सतगुरुदेव परिचय उत्साह वर्णन कर रहे हैं कि हे संतों ! आज मनुष्य देह के प्रभात काल में हमारे प्यारे प्रीतम हरि हमें अपनी कृपा द्वारा हृदय में ही आकर मिले हैं । तब से हमारे दिल का उनकी अप्राप्ति रूप दुःख, विरह रूप पीड़ा, सब निवृत्त हो गई है और जीव का जन्म - मरण रूपी साल भी नष्ट हो गया है । हे प्रभु ! हम अपने ज्ञान रूपी नेत्रों से आपका दर्शन करके सन्तोष को प्राप्त हो रहे हैं । यह संसार रूपी खेल आप ही ने रचा है और आप ही प्रभु इसमें खेल रहे हो । हे दीन दयाल ! आप अपने आत्मीयजन भक्तों से ओत - प्रोत होकर इसी प्रकार सदैव रहना ।
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