रविवार, 29 नवंबर 2015

= ६० =


卐 सत्यराम सा 卐
पहले हम सब कुछ किया, भरम करम संसार ।
दादू अनुभव उपजी, राते सिरजनहार ॥
सोई अनुभव सोई ऊपजी, सोई शब्द तव सार ।
सुनतां ही साहिब मिले, मन के जाहिं विकार ॥ 
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साभार ~ Anand Nareliya
समस्त धर्मों की खोज अनुभव के लिए है
सूफी सत्य के खोजी हैं। उस सत्य के, जो विषयगत यथार्थ का ज्ञान होता है। जो ऑब्जेक्टिव रिआलिटी है।
एक तो बौद्धिक सत्य होता है, जहां तुम्हें सत्य का कोई सीधा अनुभव नहीं होता। सिर्फ शब्द होते हैं तुम्हारे पास। जैसे एक आदमी ने सुन रखा है अग्नि के संबंध में। लेकिन अग्नि कभी देखी नहीं। अग्नि के संबंध में उसने सारी बातें समझ रखी हैं। अग्नि के संबंध में जो भी लिखा है सब उसने पढ़ लिया है, लेकिन अग्नि उसने देखी नहीं। उसका जो ज्ञान है वह विषयगत नहीं है, ऑब्जेक्टिव नहीं है। उसका ज्ञान बौद्धिक है, शब्दगत है।

और यह भी हो सकता है कि एक आदमी ने अग्नि के संबंध कुछ भी न जाना हो, कोई शास्त्र न पढ़ा हो, लेकिन अग्नि से परिचित हो। उसका ज्ञान हकीकत है। उसने अग्नि को देखा और जाना है अनुभव से। सूफियों की खोज अनुभवगत सत्य के लिए है। सत्य कैसे अनुभव बन जाये?

तो यह पहली बात खयाल रख लेनी जरूरी है। समस्त धर्मों की खोज अनुभव के लिए है। और समस्त दर्शन-शास्त्रों की खोज सिद्धांतों के लिए है। और जितने सिद्धांत होंगे, उतनी ही सिद्धावस्था मुश्किल हो जायेगी। जिस दिन कोई सिद्धांत न होगा, उसी दिन सिद्धावस्था फलित हो जाती है।.....osho

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