卐 सत्यराम सा 卐
दादू सबको पाहुणा, दिवस चार संसार ।
औसर औसर सब चले, हम भी इहै विचार ॥
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साभार ~ नरसिँह जायसवाल ~
चले गये सो ना मिले, किसको पूंछू बात।
मात पिता सुत बांधवा, झूठा सब संघात ॥
जो इस संसार से चले गए(मृत्यु हो गई) वो फिर नहीं मिलते। कोई भी यहां स्थायी रूप से नहीं आता, उसने तो जाना ही है।
ऐसे में किसी से क्या बात की जाए ? माता-पिता, पुत्र-बंधु आदि सब रिश्ते यहां पर कुछ ही समय के लिए हैं जो झूठे, मिथ्या हैं।
संत कबीरदास !
सौजन्य -- १००८ कबीरवाणी ज्ञानामृत !
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