सोमवार, 25 अप्रैल 2016

= विन्दु (२)७५ =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *卐सत्यराम सा卐* 🇮🇳🙏🌷
*https://www.facebook.com/DADUVANI*
*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
*लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ।*
.
*विन्दु ७५*
*= अदीठ मिटाना =*
.
आमेर में एक व्यक्ति के अदीठ(पीठ में फोड़ा) हो गया था । उसने अपनी शक्ति के अनुसार उसकी बहुत चिकित्सा की किन्तु वह नहीं मिटा । उससे वह व्यक्ति अत्यन्त व्याकुल हो, एक कूप में पड़कर आत्मघात करने को तैयार हो रहा था ।
.
तब उसे एक आवाज सुनाई दी - "तुम आत्मघात करने का विचार छोड़कर संत प्रवर दादूजी की शरण जाओ, उनकी कृपा से यह तुम्हारा भयंकर दुःख शीघ्र ही मिट जायगा ।" उक्त वचन सुनकर इधर-उधर देखा कि - यह कौन बोल रहा है किन्तु उसे बोलने वाला कोई भी नहीं दिखाई दिया ।
.
तब उसने निश्चय किया कि - यह मनुष्य की वाणी न होकर नभवाणी ही है । उसने उस आकाशवाणी पर विश्वास किया और कूप में न गिरकर संत दादूजी महाराज की शरण में गया । दादूजी को प्रणाम करके अपनी सब कथा सुनाई, तब दादूजी भी भगवान् की ऐसी ही इच्छा है, यह जानकर नभवाणी को भगवान् की प्रेरणा समझा ।
.
फिर अपने कमण्डलु का जल उस अदीठ पर लगाकर कहा - भैया ! भगवान् की कृपा से यह तुम्हारा दुःख शीघ्र ही मिट जायगा किन्तु तुम भी उन परमात्मा का कृतज्ञ बनना । अब अपने आगे के जीवन में झूंठ कपट आदि को छोड़कर प्रभु का भजन करना । यह मनुष्य शरीर प्रभु के भजन के लिए ही मिला है । सांसारिक सुख तो शूकर कूकरों को भी मिलते ही हैं ।
.
उन प्रभु ने मनुष्य शरीर अपनी प्राप्ति के लिये ही दिया है । इसकी सफलता दो ही बात से मानी जाती है, वे दो नहीं हो तो यह व्यर्थ ही नष्ट हो जाता है । वे दो ये हैं -
"हरि भज साफिल जीवना, पर उपकार समाय ।
दादू मरणा तहँ भला, जहँ पशु पक्षी खाय॥"
.
फिर उस व्यक्ति ने अपना आगे का जीवन दादूजी के उपदेशानुसार बनाने का निश्चय करके दादूजी को प्रणाम किया फिर वहां से चला गया । पीछे कुछ दिन में उसका अदीठ मिटकर वह निरोग हो गया ।
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें