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🌷🙏🇮🇳 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🇮🇳🙏🌷
https://www.facebook.com/DADUVANI
स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - श्रीसुन्दर ग्रंथावली
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
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साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
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*अथ राजसाहंकार सृष्टि ~ चौपइया
*अथ राजसाहंकार तें उपजी,*
*दश इन्द्रिय सु बताऊँ ।*
*पुनि पञ्च वायु तिनकैं समीप ही,*
*यह व्यौरो समुझाऊँ ॥*
*अरु भिन्न भिन्न है क्रिया सु तिन की,*
*भिन्न भिन्न है नामं ।*
*सुनि शिष्य कहौं नीकैं करि तोसौं,*
*ज्यौं पावै बिश्रामं ॥१४॥*
(अब राजसाहंकार से हुई सृष्टि का वर्णन कर रहे हैं-) हे शिष्य ! अब राजसाहंकार से उत्पन्न दस इन्द्रियों के बारे में तुम्हें बताऊँगा । फिर उन्हीं के साथ पाँच वायुओं के विषय में बताऊँगा । उनकी अलग-अलग क्रियाएँ तथा उनका नाम भी समझाऊँगा । ये सभी बातें तुझे ठीक तरह से समझा दूँगा कि जिससे तुम्हारे एतद्विषयक सभी शंका-समाधान शान्त हो जाँय ॥१४॥
*अथ राजसाहंकार तें उपजी,*
*दश इन्द्रिय सु बताऊँ ।*
*पुनि पञ्च वायु तिनकैं समीप ही,*
*यह व्यौरो समुझाऊँ ॥*
*अरु भिन्न भिन्न है क्रिया सु तिन की,*
*भिन्न भिन्न है नामं ।*
*सुनि शिष्य कहौं नीकैं करि तोसौं,*
*ज्यौं पावै बिश्रामं ॥१४॥*
(अब राजसाहंकार से हुई सृष्टि का वर्णन कर रहे हैं-) हे शिष्य ! अब राजसाहंकार से उत्पन्न दस इन्द्रियों के बारे में तुम्हें बताऊँगा । फिर उन्हीं के साथ पाँच वायुओं के विषय में बताऊँगा । उनकी अलग-अलग क्रियाएँ तथा उनका नाम भी समझाऊँगा । ये सभी बातें तुझे ठीक तरह से समझा दूँगा कि जिससे तुम्हारे एतद्विषयक सभी शंका-समाधान शान्त हो जाँय ॥१४॥
(क्रमशः)
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