शनिवार, 23 अप्रैल 2016

= विन्दु (२)७४ =

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*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज,
पुष्कर, राजस्थान ।*
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*= विन्दु ७४ =*
*= आमेर आगमन =*
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उक्त प्रकार देवले के संत तथा भक्तों को सत्संग द्वारा परमानन्द प्रदान करके दादूजी महाराज आमेर पधारने लगे तब दयालदास, संतदास आदि संतों ने तथा वैरीसाल, जैता कायस्थ आदि भक्तों ने साष्टांग प्रणाम सत्यराम करके क्षमा याचना की - स्वामिन् ! हम लोगों से कुछ त्रुटि हो गई हो तो क्षमा करना और हम आपके सेवक आपकी कृपा के पात्र सदा ही बने रहैं, यही हमारी अभिलाषा है ।
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उन सब की उक्त बात सुनकर दादूजी महाराज ने उन सबको अपने मधुर वचनों से संतुष्ट किया फिर आमेर के लिये प्रस्थान कर दिया और शिष्यों के साथ शनैः शनैः ब्रह्म चिन्तन करते हुये आमेर पहुँच गये । दादूजी महाराज पधार गये हैं, यह सूचना मिलने पर आमेर के भक्त दादूजी महाराज के दर्शन तथा सत्संग के लिये आने लगे ।
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आमेर में दादूजी महाराज जिसको जो आज्ञा देते थे वह वैसा ही करता था अर्थात् दादूजी की आज्ञानुसार ही सब संत साधन तथा शरीर निर्वाह करते थे और वहां के भक्त भी दादूजी की आज्ञानुसार ही साधन तथा व्यवहार करते थे । इस प्रकार सब ही सत्संग का लाभ उठा रहे थे ।
(क्रमशः)

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