🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🌷🙏🇮🇳 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🇮🇳🙏🌷
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स्वामी सुन्दरदासजी महाराज कृत - श्रीसुन्दर ग्रंथावली
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
.
*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
.
*अथ पंच स्वभाव ~ चौपइया*
*यह कठिन स्वभाव अबनि को कहिये,*
*द्रावक उदक हि जानहु ।*
*पुनि उष्ण सुभाव अग्नि महिं बर्त्तय,*
*चलय पवन पहिचानहु ॥*
*आकाश सुभाव सुथिर कहियत है,*
*पुनि अवकाश लखावै ।*
*ये पञ्च तत्त्व के पञ्च सुभाव हि,*
*सद्गुरु बिना न पावै ॥१३॥*
(अब पाँचों महाभूतों का स्वभाव बता रहे हैं-) पृथ्वी का कठिन स्वभाव है । अर्थात् पृथ्वी(या पार्थिव द्रव्य) स्वभावत: कठिन होते हैं ।
इसी तरह जल का स्वभाव द्रावक है । अर्थात् जल(या जलीय द्रव्य) द्रवप्रकृति के हैं ।
फिर अग्नि (=तेज) उष्ण स्वभाव वाला है । अर्थात् तेज(या तेजस पदार्थ) उष्णप्रकृतिक होते हैं ।
आकाश स्थिर स्वभाव वाला है । अर्थात् आकाश(आकाशीय पदार्थ) शून्य
स्वभाव वाले हैं ।
इस तरह पाँच महाभूत तत्त्वों के क्रमश: पाँच स्वभाव बता दिये । यह उपर्युक्त सूक्ष्म विवेचन बिना सद्गुरु के कोई नहीं समझा सकता ॥१३॥
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अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= ज्ञानसमुद्र ग्रन्थ ~ चर्तुथ उल्लास =*
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*अथ पंच स्वभाव ~ चौपइया*
*यह कठिन स्वभाव अबनि को कहिये,*
*द्रावक उदक हि जानहु ।*
*पुनि उष्ण सुभाव अग्नि महिं बर्त्तय,*
*चलय पवन पहिचानहु ॥*
*आकाश सुभाव सुथिर कहियत है,*
*पुनि अवकाश लखावै ।*
*ये पञ्च तत्त्व के पञ्च सुभाव हि,*
*सद्गुरु बिना न पावै ॥१३॥*
(अब पाँचों महाभूतों का स्वभाव बता रहे हैं-) पृथ्वी का कठिन स्वभाव है । अर्थात् पृथ्वी(या पार्थिव द्रव्य) स्वभावत: कठिन होते हैं ।
इसी तरह जल का स्वभाव द्रावक है । अर्थात् जल(या जलीय द्रव्य) द्रवप्रकृति के हैं ।
फिर अग्नि (=तेज) उष्ण स्वभाव वाला है । अर्थात् तेज(या तेजस पदार्थ) उष्णप्रकृतिक होते हैं ।
आकाश स्थिर स्वभाव वाला है । अर्थात् आकाश(आकाशीय पदार्थ) शून्य
स्वभाव वाले हैं ।
इस तरह पाँच महाभूत तत्त्वों के क्रमश: पाँच स्वभाव बता दिये । यह उपर्युक्त सूक्ष्म विवेचन बिना सद्गुरु के कोई नहीं समझा सकता ॥१३॥
(क्रमशः)
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