#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू दुखिया तब लगै, जब लग नाम न लेहि ।
तब ही पावन परम सुख, मेरी जीवनि येहि ॥
दादू दरिया यहु संसार है, तामें राम नाम निज नाव ।
दादू ढील न कीजिये, यहु औसर यहु डाव ॥
========================== ===
साभार ~ Rp Tripathi ~
** दुःखों से मुक्ति का सूत्र ? **
सम्मानित मित्रो ; यदि हम किसी एक ऐंसे स्थान पर खड़े हों ?
जहाँ अनंत भाषायें बोली-लिखी जा रहीं हों ; तो भी हम सिर्फ उसी भाषा से संपर्क स्थापित कर पाते हैं ; जिसकी उपस्थिति पहले से हमारे मस्तिष्क में हो ; अन्य किसी भाषा से नहीं !! दूसरे शब्दों में ; बाह संसार में अच्छे या बुरे दर्शन के लिए ; हमारे मन में अच्छे या बुरे भाव की पूर्व-उपस्थिति होना ; नितांत-आवश्यक है !! इसी कारण संत कबीर कहते हैं :--
बुरा जो देखन मैं चला ; बुरा ना मिल्यो कोय !
जो दिल खोजो आपणो ; मुझसे बुरा ना कोय !!
और चूंकि बुराई-दर्शन सभी दुखों का मूल है ; अतः इसकी मुक्ति के विषय में पुनः संत कबीर कहते हैं :--
दुःख में सुमरन सब करें ; सुख में करे ना कोय !
जो सुख में सुमरन करे ; तो दुःख काहे होय !!
क्योंकि सुमरन से मन ;
ऐंसी निर्मल दशा को प्राप्त हो जाता है जहाँ जीव मात्र को ; अपने वास्तविक स्वरूप :-- "ईस्वर अंश जीव अविनाशी ; चेतन अमल सहज सुख राशी" -- की अनुभूति होने लगती है ; जिससे वह दुःख की स्थिति से ; "सहज-सुख" अर्थात प्रयास-रहित सुख की मनोदशा को प्राप्त हो जाता है !!
( क्या हम सहज-सुख की स्थिति में ; स्थित हैं सम्मानित मित्रो ?
यदि हाँ ; तो हम परम सौभाग्यशाली हैं !! यदि नहीं ; तो क्यों ना हम अविलम्ब स्वांशों को ही माला के मनके बना ; प्रभु नाम का स्मरण कर ; २४ x ७ सहज-सुख की स्थिति में रहें !! )
******** ॐ कृष्णम् वंदे जगत गुरुम् ********
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें