मंगलवार, 26 अप्रैल 2016

= ७० =

#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
दादू सोच करै सो सूरमा, कर सोचै सो कूर ।
कर सोच्यां मुख श्याम ह्वै, सोच कियां मुख नूर ॥ 
जो मति पीछे ऊपजै, सो मति पहली होइ ।
कबहुं न होवै जीव दुखी, दादू सुखिया सोइ ॥ 
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साभार ~ Rp Tripathi ~ 
** धैर्य की उपयोगिता :: एक संक्षिप्त परिचर्चा **

सम्मानित मित्रो ; 
सुकरात जैंसे कुछ प्रतिभावान व्यक्तित्वों को छोड़कर ; जो जीवन की बिषम से बिषम परिस्थिति ; यहाँ तक की फांसी के फंदे पर भी ; शांत/सहज रह मुस्करा सकते हैं ; अन्य सभी तो छोटी सी भी प्रतिकूल परिस्थिति आने पर ; अपना संयम खो अशांत/असहज हो जाते हैं !!

और फिर अशांत/असहज अवस्था में ही ; 
प्रतिकूल स्थिति को अनुकूल बनाने के प्रयासों में जुट जाते हैं !! वह अशांत/असहज अवस्था में ; इस सत्य को बिलकुल ही भूल जाते हैं कि :--

"अशांत/असहज अवस्था में ; 
बुद्धि सही निर्णय लेने में अक्षम होती है !! इस अवस्था में लिए गए निर्णयों से ; जीवन में कठिनाइयां कम नहीं ; वरन बढ़ जाती हैं ; क्योंकि अशांत मनोदशा में विचार-विमर्श नहीं ; बाद-विवाद होता है ; जिससे किसी का भी भला नहीं होता !!"

अतः अशांत/असहज मनोदशा में ; 
धैर्य धारण करना एक बहुत ही उपयोगी कला है ; इसके अभ्यास से व्यक्ति ; बिषम से बिषम परिस्थिति में भी अपना मानसिक-संतुलन बनाये रख सकता है ; और शांत मनोदशा में सोच-विचार कर लिए गए निर्णय ; हमेशा सभी के लिए शुभकारी होते हैं !!

इसी कारण कहा जाता है :-- 
"कम खाना और गम खाना ; ना हकीम के पास जाना ; और ना हाकिम के पास जाना !!" या अंग्रेजी में कहा जाता है :-- Those who do not keep Patience ; become Patient ..!!

उपरोक्त से सहमत हैं ना सम्मानित मित्रो ?

******** ॐ कृष्णम वन्दे जगत गुरुम ********

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