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*#श्रीदादूचरितामृत*, *"श्री दादू चरितामृत(भाग-२)"*
*लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ।*
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*= विन्दु ७९ =*
*= रामू माली का मार्ग में आना =*
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फिर वह रामू माली खरबूजे लेकर मार्ग में आया और अपने कुटुम्ब को सूचना दी कि तुम लोग शीघ्र ही आरती करने की सामग्री लेकर सब मार्ग पर आजाओ । भाग्यवश संत प्रवर दादूजी महाराज इस मार्ग से पधार रहे हैं । मैं बाड़ी से खरबूजे लेकर मार्ग पर आ गया हूँ ।
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सूचना मिलते ही भक्त का परिवार भी सब सामग्री लेकर सानन्द मार्ग पर पहुँच गया । आस-पास की बाड़ियों वालो को ज्ञात हुआ तब वे भी संतों के दर्शन करने के लिये आये । इतने में ही दादूजी महाराज अपनी शिष्य-मंडली के सहित ब्रह्म चिन्तन करते हुये रामू आदि जहां प्रतीक्षा कर रहे थे वहाँ पहुंच गये ।
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भक्त मालियों ने दूर से ही जब दादूजी का दर्शन किया तब आनन्द में निमग्न हो गये फिर सब सत्यराम बोलते हुये साष्टांग दंडवत करने लगे । फिर रामू ने हाथ जोड़कर कहा - स्वामीजी महाराज आज हम लोगों के जीवन का दिन धन्य है जो आपकी शिष्य मंडली के सहित हम आपके दर्शन का लाभ ले रहे हैं ।
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फिर उन रामू आदि भक्तों ने विधि पूर्वक दादूजी महाराज के चरण धोये तथा आरती की और दीक्षा देने की प्रार्थना की । तब दादूजी महाराज ने रामू को गुरुमंत्र उपदेश किया ।
(क्रमशः)
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