🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*मन्त्र का नामकरण*
*सब संतनि मिलि कियौ विचारा ।*
*नाम बिना नहिं लगै पियारा ।*
*कहूँ न दीसै ठौर न ठाऊँ ।*
*ताकौ धरहिं कवन बिधि नाऊँ ॥१७॥*
मन्त्र के नाम के विषय में बहुत पहले सन्तों ने मिल-बैठ कर विचार किया कि सिद्धान्तत: निर्गुण(निराकार) भक्ति तय तो कर दी, पर प्रश्न यह उठता है कि जिसका न कोई रूप है, न आकार है उसका साक्षात्कार किस तरह किया जा सकता है, उसकी भक्ति कैसे की जा सकती है !॥१७॥
.
*अपनैं सुख के कारण दासा ।*
*काढयौ सोधि सु परम प्रकासा ।*
*ताकौ नाम राम तब राख्यौ ।*
*पीछैं बिबिध भांति बहु भाख्यौ ॥१८॥*
अपने परमानन्द की प्राप्ति के लिये सन्तों ने परम प्रकाशमय परब्रह्म की खोज तो कर ली, पर जब ऊपर लिखी(नाम की) समस्या उनके सामने उपस्थित हुई तो उन्होंने एकमत होकर उस निराकार ब्रह्म का नाम रखा ‘राम’ । और बाद में उन्होंने उस ‘राम’ नाम की महिमा का भाँति-भाँति से वर्णन किया ॥१८॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें