🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*(ग्रन्थ ६) वेदविचार*
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*एक वचन है पत्र सम, एक वचन है फूल ।*
*एक वचन है फल समा, समझि देखि मति भूल ॥५॥*
उसमें एक प्रकार(कर्मकाण्ड) के मन्त्रवचन पत्ररूप है, दूसरे प्रकार (उपासना काण्ड) के मन्त्रवचन पुष्परूप हैं तथा तीसरे प्रकार(ज्ञानकाण्ड) के मन्त्रवचन फलरूप है । जिज्ञासु को यह बात(वेद का त्रिविध रूप) भलीभाँति मन में बैठा लेनी चाहिये । वह इसमें किसी तरह का भ्रम न रखे ॥५॥
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*कर्म पत्र करि जानिये, मंत्र पुष्प पहिचानि ।*
*अन्त ज्ञान फल रूप है, कांड तीन यौं जानि ॥६॥*
उसके तीन काण्डों में से कर्मकाण्ड के मन्त्रवचनों को पत्ररूप समझना चाहिये । उपासनाकाण्ड के मंत्रवचनों को पुष्परूप समझना चाहिये । और अन्तिम ज्ञानकाण्ड के मन्त्रवचनों को उसका फलरूप समझना चाहिये ॥६॥
(क्रमशः)
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