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॥ दादूराम सत्यराम ॥
*श्री दादू चरितामृत(भाग-२)*
लेखक ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*= विन्दु ९६ =*
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*निर्वाण प्राप्ति मंत्र -*
“परमातम से आतमा, ज्यों जल उदक समान ।
तन मन पाणी लौंण ज्यों, पावे पद निर्वान ॥”
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*परम सिद्धि प्राप्ति मंत्र -*
“जहां नाम तहँ नीति चाहिये, सदा राम का राज ।
निर्विकार तन मन भया, दादू सीझे काज ॥”
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*राम प्रत्यक्ष होने का मंत्र -*
“दादू मनसा वाचा कर्मना, अन्तर आवे एक ।
ताको प्रत्यक्ष राम जी, बातैं और अनेक ॥”
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*सब दुःख भंजन मंत्र -*
“दादू सो वेदन नहिं बावरे, आन किये जे जाय ।
सब दुख भंजन सांइयां, ताही से ल्यौ लाय ॥”
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*सगुण से निर्गुण होने का मंत्र -*
“कछू न कीजे कामना, सगुण हि निर्गुण होहि ।
पलट जीव तैं ब्रह्म गति, सब मिल मानैं मोहि ॥”
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*प्रभु दर्शन मंत्र -*
“दादू तन मन के गुण छाड़ि सब, जब होय नियारा ।
तब अपने नैनहुँ देखिये, परकट पिव प्यारा ॥”
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*मनोनिग्रह मंत्र -*
“थोरे-थोरे हठ किये, रहेगा ल्यौ लाय ।
जब लागा उनमनी से, तब मन कहीं न जाय ॥
जब अन्तर उरझा एक से, तब थाके सकल उपाय ।
दादू निश्चल थिर भया, तब चल कहीं न जाय ॥”
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*मन निर्मलकर मंत्र -*
“दादू पाणी धोवे बावरे, मन का मैल न जाय ।
मन निर्मल तब होयगा, तब हरि के गुण गाय ॥”
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*माया सर्पनी से बचने का मंत्र -*
“दादू खाये साँपनी, क्यों कर जीवें लोग ।
राम मंत्र जन गारुड़ी, जीवें इहिं संजोग ॥”
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*साधु सहायक मंत्र -*
“आगे पीछे संग रहै, आप उठाये भार ।
साधु दुखी तब हरि दुखी, ऐसा सिरजन हार ॥”
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*रक्षा मंत्र -*
“सेवक की रक्षा करे, सेवक की प्रतिपाल ।
सेवक की बाहर चढ़े, दादू दीन दयाल ॥”
उक्त प्रकार अनेक मंत्र दादू वाणी में मिलते हैं । इससे लय योग और मंत्र योग भी दादू वाणी में विद्यमान हैं ।
(क्रमशः)
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