गुरुवार, 27 अप्रैल 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/३६-७) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= गुरु की प्रसन्नता =*
*दीन वचन जब ही सुने, सद्गुरु भये प्रसन्न ।*
*तुमहिं छुड़ाऊं वेगि दे, भय जिनि आनहु मन्न ॥३६॥*
गुरुदेव ने जब उन दीनों के ये आर्तवचन सुने तो वे प्रसन्न हो उठे । उन्होंने कहा - "हे मन ! तुम अब किसी तरह का भय न खाओ । मैं तुम्हें शीघ्र ही उन दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने का उपाय करूँगा ॥३६॥
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*श्रवनूं मन जिज्ञास अति, देखे सद्गुरु आप ।*
*लाग्यौ कहन उपाय तब, काटन दुख संताप ॥३७॥*
गुरुदेव ने श्रवनूं की और उसके पिता मन की ज्ञान पाने की उत्कट इच्छा समझ ली । तब उनहोंने उनके दुःख को, विपत्ति को, दूर करने के लिये उन ठगों से बचने का उपाय बताना प्रारम्भ किया ॥३७॥
(क्रमशः)

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