शनिवार, 29 अप्रैल 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/४०-१) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*अब तूं मेरौ सीख सुनि, चारौं निकट दुलाइ ।*
*एक मते मैं राखि सब, अपने अंग लगाइ ॥४०॥*
"अब तूं विपत्ति से छुटकारा पाने के लिये मेरी शिक्षा सुन और उसपर अमल कर । अपने उन चारों लड़कों को भी अपने पास बुला ले । उनको स्नेहपूर्वक अपनी छाती से चिपका ले । सब को एकमत रख कर साथ रहने का प्रयास कर ॥४०॥
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*तब उन कौं सुधि होइ है, मिलि बैठहिं इक ठौर ।*
*या बिधि छूटहिं ठगनि तें, भूलि न भाखै और ॥४१॥*
"जब तूँ स्नेहपूर्ण व्यवहार करेगा तो उन्हें कभी न कभी विवेक जागृत होगा । एक साथ मिल बैठने का प्रयास करेंगे । इस तरह तुम सब एकमत होकर चलोगे तो तुम लोगों का उन ठगों से छुटकारा हो जायगा । अब आगे से भूलकर भी ऐसी कोई बात तुम्हारे मुँह से न निकले कि तुम में किसी तरह की फूट मालूम पड़े ॥४१॥
(क्रमशः)

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