बुधवार, 31 मई 2017

= ७४ =


卐 सत्यराम सा 卐
सहजैं मनसा मन सधै, सहजैं पवना सोइ ।
सहजैं पंचों थिर भये, जे चोट विरह की होइ ॥
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साभार ~ Pandit Lalit Brahman

*सही पहचान*
एक बार की बात है की एक बहुत बड़ा उद्धयोगपति व्यापार करने के लिए विदेशों में जाता था । उसके पास एक बहुत बड़ा पानी का जहाज था जिसमें वह अपना माल लादकर विदेश ले जाया करता था । एक बार किसी देश की यात्रा के दौरान ही उसका जहाज का इंजन खराब हो गया । 
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जहाज़ में कई मैकेनिक थे वे सभी इंजन की मररमत में लग गये| बहुत समय बीत गया लेकिन जहाज स्टार्ट नहीं हुआ । अब सारे मैकेनिक थक कर हार मान चुके थे । तभी वहाँ से एक बूढ़ा व्यक्ति गुजरा जो पहले कभी जवानी में जहाजों की रिपेरिंग करता था । 
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व्यापारी ने उससे जहाज को ठीक करने की विनती की । बूढ़े व्यक्ति ने अपने कंधे पे एक बड़ा सा झोला लटकाया हुआ था जिसमें उसके औजार थे । अब उसने झोले से एक हथौड़ा निकाला और जहाज के पास आया । वह घंटों इंजन को उपर नीचे देखता और जाँचता रहा लेकिन किया कुछ नहीं । 
सारे लोग उसे मूर्ख समझने लगे कि कितनी देर हो गयी और ये मुर्ख बस इंजन को देखे जा रहा है । बहुत देर बाद बूढ़े को कुछ समझ में आया और उसने इंजन के एक पुर्जे पर हल्के से हथौड़ा मारा और इंजन स्टार्ट हो गया । सारे लोग खुशी खुशी वहाँ से चल दिए ।
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एक सप्ताह बाद व्यापारी को 10,000 रुपये का बूढ़े व्यक्ति की तरफ से एक बिल मिला । व्यापारी बिल देखकर बहुत गुस्सा हुआ और बोला बूढ़े ने ज्यादा कुछ किया भी नहीं था और इतना बड़ा बिल बना के भेज दिया । व्यापारी ने बूढ़े को संदेश भेजा की मुझे काम के अनुसार ये बिल समझाओ |
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बूढ़े व्यक्ति ने बिल भेजा जिसमें लिखा था :-
इंजन पे चोट मारने के – 2 रु
सही जगह पहचानने के – 9998 रु
तो मित्रों यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है, कोई काम करना तभी सफल है जब वह सही ढंग से सही जगह किया जाए । हममें से बहुत सारे लोग रोज बिना कुछ सोचे समझे बस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लगे रहते हैं | लेकिन सही अवसर, सही समय या सही दिशा नहीं पहचान पाते हैं | कार्य तो कोई भी कर सकता है लेकिन सही ढंग से कार्य करने से ही आदमी सफल होता है ।
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।। जय श्री सीताराम ।। जय श्री हनुमान ।। जय श्री दुर्गा माँ ।।
श्री हनुमान भक्त

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