सोमवार, 1 मई 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/४४-५) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
.
*नथुवा कौं यह रुचि रहै, हरि चरणांबुज बास ।*
*तब ही भागै गन्ध ठग, रहै न याके पास ॥४४॥*
"नथुवा को यह काम सौंप दो कि वह दिन-रात हरिचरणकमलों कीई गन्ध लेने में ही रुचि रखे, बाकी सांसारिक कमलों में नहीं । इससे यह होगा कि उसका विरोधी गन्ध ठग उससे डर कर उसका पीछा करना छोड़ देगा ॥४४॥
.
*रसनूं हरि के नाम कौं, रटै अखण्डित जाप ।*
*तब ही भागै स्वाद ठग, कबहु न लागै ताप ॥४५॥*
"इसी प्रकार रसनूं स्वाद ठग से बचने के लिये भगवान् के नाम का अखण्ड जाप करने लगे तो वह भी विपत्ति से छुटकारा पा लेगा ॥४५॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें