बुधवार, 31 मई 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/१५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिनकौ गुरु अब कहौं सुनाई ।*
*लब्ध्यानन्द सकल सुखदाई ।*
*जाही कौं उपदेश बतायौ ।*
*तिनि ततकाल परम पद पायौ ॥१५॥
उनके भी गुरु का नाम मेरे से सुन लो । उनका नाम लब्ध्यानन्द जी । वे सबके लिये सुखद थे । जिस साधक को भी इन्होंने उपदेश कर दिया वह तत्काल इनके उपदेश के प्रभाव से जीवन्मुक्त हो गया ॥१५॥
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*तिन कौ गुरु कहिये विख्याता ।*
*समतानन्द परम सुखदाता ।*
*कीरी कुंजर सम करि जानैं ।*
*नीच ऊँच कहुँ भेद न आनैं ॥१६॥
उनके गुरु थे समतानन्दजी । वे अपने समय में अत्यधिक विख्यात थे । सभी को परम सुख के देनेवाले थे । वे हाथी से लेकर कीड़ी तक सब में समान दया-भाव रखते थे । इनकी नजर में किसी के प्रति नींच-ऊँच का कोई भेद आया ही नहीं ॥१६॥
(क्रमशः)

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