बुधवार, 3 मई 2017

= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८/४८-९) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= अद्भुत उपदेश(ग्रन्थ ८) =*
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*= बाकी पुत्रों का भी गुरु के पास आना =*
*तब मन यह उपदेश सुनि, चार्यौ लिये बुलाइ ।*
*नैनूं नथुवा, रसनुवा, चर्मू बैठे आइ ॥४८॥*
पिता मन ने गुरुदेव के इस उपदेश को शिरोधार्य किया, तथा अपने चारों पुत्रों--नैनूं, नथुवा, रसनूं तथा चर्मू को भी पास बुला लिया । वे सब भी पिता कीई आज्ञा मानकर पिता के पास आकर एक साथ बैठ गये ॥४८॥
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*ज्यौं उपाइ सद्गुरु कही, त्यौं ही करने लाग ।*
*पुत्र पिता हरखत भये, जागे पूरब भाग ॥४९॥*
और जो उपाय सद्गुरु ने उन लोगों को बताये थे उसी तरह कार्य करने लगे । इस तरह पिता और पुत्रों का भाग्योदय हो गया, और वे सब सुखमय जीवन बिताने लगे ॥४९॥*
(क्रमशः)

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