शुक्रवार, 2 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/१९-२०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिन के गुरु समान को नाहीं ।*
*सत्यानन्द प्रगट जग मांही ।*
*मुख तें सदा सत्य ही बौलैं ।*
*नहिं तो वदन कपाट न खोलै ॥१९॥*
उनके भी गुरु का नाम था श्री सत्यानन्द । वे अपने समय में समग्र जगत् में अनुपम थे । वे बोलते थे तो हमेशा सत्यवाणी ही बोलते थे । या फिर मौन रहना ही ठीक समझते थे ॥१९॥
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*तिन के गुरु अब कहौं सुनाई ।*
*गिरानन्द गुरु मिलियौ आई ।*
*जाकी गिरा सबनि कौं भावै ।*
*गिरा मांहि गोबिन्द बतावै ॥२०॥*
अब उनके भी गुरु का नाम बताता हूँ, सुनो । वह है श्रीगिरानन्द । यह नाम उन्हें अपने गुरु से प्राप्त हुआ था । उनकी वाणी, जो भी सुनते उन, सभी को प्यारी लगती थी । वे बातों ही बातों में लोगों को भगवद्भक्ति की तरफ प्रेरित करते रहते थे ॥२०॥
(क्रमशः)

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