सोमवार, 19 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/४९-५०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*संप्रदाय इहिं बिधि चली, प्रगट करि जगदीश ।* 
*सुन्दर सिर तें नख गनहिं, नख ते गानिये शीश ॥४९॥* 
साक्षात् स्वयं श्री जगदीश्वर द्वारा संचालित या(सम्प्रदाय-परिपाटी) उसी प्रकार चली है जैसा मैंने ऊपर बताया है । अनुलोम गणना से भी इस में कोई अन्तर नहीं आता है । जैसे शरीर के अंगों को गिनने के लिये भले ही उन्हें सिर से नख की तरफ गिनें या नख से सिर की तरफ गिनें- कोई अन्तर नहीं आता ॥४९॥     
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*= अनुलोम-प्रतिलोम गणना =*   
*पैरी पैरी उतरिये, पैरो ही चढि जाइ ।* 
*सुन्दर यौं अनुलोम है, अरु प्रतिलोम कहाइ ॥५०॥* 
(अब कवि प्रसंन्गवश अनुलोम-प्रतिलोम शब्दों का अर्थ बता रहे हैं -) किसी मकान की छत से सीढ़ी-सीढ़ी नीचे की तरफ उतरिये- इसे अनुलोम गणना कहते हैं, और सीढ़ी-सीढ़ी नीचे से ऊपर की तरफ चढ़िये- इसे प्रतिलोम गणना कहते हैं ॥५०॥
(क्रमशः)

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