गुरुवार, 22 जून 2017

= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११/३-४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११) =*
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*= ईश्वर का सृष्टि के लिये संकल्प =*
*प्रथम निरंजन आपही, मन मैं यहु आंनी ।*
*पंच तत्व गुन तें, सब सृष्टि उपांनी ॥३॥*
पहले निरंजन निराकार परब्रह्म परमात्मा ने सात्विकावस्था में संकल्प किया कि एकोऽहं बहु स्याम्(क्यों न विनोदार्थ कुछ नई रचना-कल्पना की जाय) यह संकल्प होते ही उनके संकेत से पंच तत्व तथा तीन गुण उत्पन्न हुए, जिनके आधार पर यह समग्र सृष्टि बनी ॥३॥
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*ब्यौम बायु पावक किये, जल भूमि मिलांनी ।*
*राजस सात्विक तामसा, तीनौं विबिघांनी ॥४॥*
वे पाँच तत्व है पाँच महाभूत, जैसे- आकाश, वायु, अग्नि(तेज), जल और पृथ्वी । सृष्टि में इन सब का सम्मिलित अंश रहता है । इसी तरह तीन गुण हैं- सत्व, रज, तम । इन तीनों का ही सृष्टि में प्राधान्य होने से यह समग्र सृष्टि त्रिगुणात्मिका कहलाती है ॥४॥
(क्रमशः)

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