शनिवार, 10 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/३५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिन कौ गुरु कहिये निःकामा ।*
*निजानन्द है ताकौ नामा ।*
*निज आनंद मांहिं सुख पायौ ।*
*तुच्छानन्द दृष्टि नहि आयौ ॥३५॥*
उनके गुरु का नाम था निजानन्द जी । वे पूर्ण निष्काम(कामनारहित) थे । स्वात्मानन्द-रति में ही वे सुख का अनुभव करते थे । सांसारिक विषय भोग तो उनकी नजर पर ही नहीं चढ़ते थे ॥३५॥
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*= दोहा =*
*तिन कौ बृहदानन्द गुरु, बृहद् ब्रह्म मंहि वास ।*
*वोर छोर ताकौ नहीं, जैसैं बृहदाकाश ॥६॥*
उनके भी गुरु का नाम था बृहदानन्द जी । उस बृहद्(व्यापक) ब्रह्म में तल्लीन रहना ही उनका काम था । जिस ब्रह्म का बृहदाकाश की तरह कोई आदि अन्त नहीं ॥३६॥
(क्रमशः)

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