सोमवार, 26 जून 2017

= १२२ =

卐 सत्यराम सा 卐
जोगी जान जान जन जीवै ।
बिन ही मनसा मन हि विचारै, 
बिन रसना रस पीवै ॥ टेक ॥
बिनही लोचन निरख नैन बिन, 
श्रवण रहित सुन सोई ।
ऐसै आतम रहै एक रस, 
तो दूसर नाम न होई ॥ १ ॥
बिन ही मार्ग चलै चरण बिन, 
निहचल बैठा जाई ।
बिन ही काया मिलै परस्पर, 
ज्यों जल जलहि समाई ॥ २ ॥
बिन ही ठाहर आसण पूरे, 
बिन कर बैन बजावै ।
बिन ही पावों नाचै निशिदिन, 
बिन जिभ्या गुण गावै ॥ ३ ॥
सब गुण रहिता सकल बियापी, 
बिन इंद्री रस भोगी ।
दादू ऐसा गुरु हमारा, 
आप निरंजन जोगी ॥ ४ ॥
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साभार ~ Nishi Dureja
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*!! कोई उसकी व्याख्या है ही नहीं !!*
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एक बाउल फकीर से एक बड़े शास्त्रज्ञ पंडित ने पूछा कि प्रेम, प्रेम…निरंतर प्रेम का जप किए जाते हो, यह प्रेम है क्या? मैं भी तो समझूं ! इस प्रेम का किस शास्त्र में उल्लेख है, किन वेदों का समर्थन है?
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वह बाउल फकीर हंसने लगा। उसका इकतारा बजने लगा। खड़े होकर वह नाचने लगा। पंडित ने कहा: नाचने से क्या होगा? और इकतारा बजाने से क्या होगा? व्याख्या होनी चाहिए प्रेम की। और शास्त्रों का समर्थन होना चाहिए। कहते हो प्रेम परमात्मा का द्वार है, मगर कहां लिखा है? और नाचो मत, बोलो ! इकतारा बंद करो बैठो ! तुम मुझे धोखे में न डाल सकोगे। औरों को धोखे में डाल देते हो इकतारा बजा कर, नाच कर। औरों को लुभा लेते हो, मुझको न लुभा सकोगे।
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उस बाउल फकीर ने फिर भी एक गीत गाया। उस बाउल फकीर ने कहा: गीतों के सिवाय हमारे पास कुछ और है नहीं। यही गीत हमारे वेद, यही गीत हमारे उपनिषद, यही गीत हमारे कुरान। क्षमा करें ! नाचूंगा, इकतारा बजाऊंगा, गीत गाऊंगा—यही हमारी व्याख्या है। अगर समझ में आ जाए तो आ जाए; न समझ में आए, दुर्भाग्य तुम्हारा। पर हमसे और कोई व्याख्या न पूछो। और कोई उसकी व्याख्या है ही नहीं। और जो गीत उसने गाया, बड़ा प्यारा था।
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गीत का अर्थ था: एक बार एक सुनार एक माली के पास आया और कहा कि तेरे फूलों की बड़ी प्रशंसा सुनी है, तो मैं आज कसने आया हूं कि फूल सच्चे हैं, असली हैं या नकली हैं? मैं अपने सोने के कसने के पत्थर को ले आया हूं। और वह सुनार उस गरीब माली के गुलाबों को पत्थर पर कस—कसकर फेंकने लगा कि सब झूठे हैं, कोई सच्चे नहीं हैं।
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उस बाउल फकीर ने कहा: जो उस गरीब माली के प्राणों पर गुजरी, वही तुम्हें देखकर मेरे प्राणों पर गुजर रही है। तुम प्रेम की व्याख्या पूछते हो! और मैं प्रेम में नाच रहा हूं। अंधे हो तुम ! तुम प्रेम के लिए शास्त्रीय समर्थन पूछते हो —और मैं प्रेम को संगीत दे रहा हूं !!!

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