शुक्रवार, 23 जून 2017

= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११/५-६) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११) =*
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*= देवत्रय की उत्पत्ति =*
*रज गुण ते ब्रह्मा किये, राजस अभिमानी ।*
*सात्विक विष्णु उपाइया, प्रतिपालक प्रांनी ॥५॥*
उन गुणों से(एक एक की अतिरेकता के साथ) ब्रह्मा विष्णु महेश की रचना की । रजोगुण के अतिरेक से ब्रह्मा की रचना की और यह उन्हें समग्र सृष्टि रचने का काम सौंपा । सतोगुण के अतिरेक से विष्णु की उत्पत्ति हुई और उन्हें सृष्टि की रक्षा का भार सौंपा गया ॥५॥
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*तम गुण तें शंकर भये, संहारक जांनी ।*
*ऐसी बिधि भव पथ चलै, यह रचना ठांनी ॥६॥*
तथा तमोगुण के अतिरेक से शंकर की उत्पत्ति हुई और उन्हें सृष्टि के संहार का कार्य सौंपा गया । इस तरह उस परब्रह्म परमात्मा ने अपने एक संकल्प से ऐसा रास्ता बना दिया कि यह संसार-प्रवाह निरन्तर चलता रहे और यह सृष्टि बनती-बिगड़ती रहे ॥६॥
(क्रमशः)

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