रविवार, 25 जून 2017

= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११/९-११) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुन-उत्पत्तिनीसांनी(ग्रन्थ ११) =*
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*= वासुर-गन्धर्वों की उत्पत्ति =*
*सुर अरु असुर सबै किये, अप अपने थांनी ।*
*गन गंधर्व उपाइया, हाहा हू गांनी ॥९॥*
इसी तरह सब देवताओं और राक्षसों की रचना कर उन्हें अपने-अपने लोक(सुरलोक, असुरलोक) में रहने के लिये निश्चित किया । इसी प्रकार हाहा, हूहू आदि संगीतशास्त्राचार्य गन्धर्वों की उत्पत्ति की ॥९॥
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*किन्नर अरु विद्याधरा, यक्षादि धनांनी ।*
*भूत पिशाच निशाचरा, राक्षस दुख दांनी ॥१०॥*
और किन्नर, विद्याधर, धनपति कुबेर आदि यक्ष तथा सृष्टि के लिये दुःख-दायी भूत-पिशाच, निशाचर-राक्षस आदि पैदा किये ॥१०॥
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*चन्द सूर दीपक किये, तारा नभ तांनी ।*
*सप्त दीप नव खंड मैं, दिन रैंन थपांनी ॥११॥*
समग्र संसार में प्रकाश के लिये चन्द्र और सूर्य रूपी दो दीपक बनाये तथा पूरे आकाश-मण्डल में चमकते हुए तारागण का विस्तार कर दिया । इसी तरह सात द्वीप एवं नवखण्डयुक्त पृथ्वी का निर्माण कर उसके कार्यकलापों को दिन और रात्रि के विभाग में विभक्त कर दिया ॥११॥
(क्रमशः)

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