🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
.
*तिन कौ गुरु अब कहि समझाऊं ।*
*नित्यानन्द जास कौ नाऊं ।*
*नित्य मुक्त निर्मल मति जाकी ।*
*कोऊ लखि न सकै गति ताकी ॥३९॥*
उनके भी गुरु के विषय में बता दूँ, जिनका नाम था नित्यानन्द जी । उनकी बुद्धि विकारों से नित्य मुक्त थी, निर्मल थी । उनकी चारित्रिक सात्विक गतिविधि के बारे में कोई इदन्तया नहीं बता सकता था ॥३९॥
.
*तिन कौ सदानन्द गुरु ऐसौ ।*
*सदा एक रस कहूँ न भैसौ ।*
*एक सदा सबहि न मंहिं जांनैं ।*
*द्वैंत भाव कबहूँ नहिं आंनैं ॥४०॥*
उनके गुरु श्री सदानन्द ऐसे थे जो सांसारिक व्यवहार में सदा एकरस रहते थे । न उन्हें किसी से भय था, न वे किसी से डरते थे । वह एक परमात्मा को सब में व्यापक मानते थे । उनके हृदय में यति्कञित् भी द्वैत भाव नहीं था ॥४०॥
(क्रमशः)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें