सोमवार, 12 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/३९-४०) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
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*तिन कौ गुरु अब कहि समझाऊं ।* 
*नित्यानन्द जास कौ नाऊं ।* 
*नित्य मुक्त निर्मल मति जाकी ।* 
*कोऊ लखि न सकै गति ताकी ॥३९॥*  
उनके भी गुरु के विषय में बता दूँ, जिनका नाम था नित्यानन्द जी । उनकी बुद्धि विकारों से नित्य मुक्त थी, निर्मल थी । उनकी चारित्रिक सात्विक गतिविधि के बारे में कोई इदन्तया नहीं बता सकता था ॥३९॥
*तिन कौ सदानन्द गुरु ऐसौ ।*
*सदा एक रस कहूँ न भैसौ ।* 
*एक सदा सबहि न मंहिं जांनैं ।* 
*द्वैंत भाव कबहूँ नहिं आंनैं ॥४०॥* 
उनके गुरु श्री सदानन्द ऐसे थे जो सांसारिक व्यवहार में सदा एकरस रहते थे । न उन्हें किसी से भय था, न वे किसी से डरते थे । वह एक परमात्मा को सब में व्यापक मानते थे । उनके हृदय में यति्कञित् भी द्वैत भाव नहीं था ॥४०॥
(क्रमशः)

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