रविवार, 11 जून 2017

= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०/३७-८) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
.
*= गुरुसम्प्रदाय(ग्रन्थ १०) =*
.
*= चौपाई =*
*तिन को गुरु आतम संलग्ना ।*
*शुद्धानन्द शुद्ध ज्यौं गगना ।*
*ह्रदय शुद्ध बाणी प्रति शुद्धा ।*
*जौ परसै सो होइ बिशुद्धा ॥३७॥*
उनके गुरु थे आत्मारामरत श्रीशुद्धानन्द । जिनका ह्रदय निर्मल आकाश की तरह विमल था । उनका हृदय शुद्ध था, वाणी भी शुद्ध थी । वे जिसको भी अपने करकमलों से स्पर्श कर देते वही सुविशुद्ध हो उठाता ॥३७॥
.
*तिन कौ गुरु है अति गम्भीरा ।*
*अमितानन्द अमोलिक हीरा ।*
*जाकी मति कछु कही न जाई ।*
*बहुत भांति करि ग्रन्थनि गाई ॥३८॥*
उनके भी गुरु का नाम था श्रीअमितानन्द । वे अत्यन्त गम्भीर थे । बहुमूल्य हीरे के सामान उनका चरित्र भी अनमोल था । उनकी कुशाग्रबुद्धि का यथार्थ वर्णन आज तक कोई भी नहीं कर पाया, यद्यपि शास्त्रों में उनके बारे में बहुत कुछ लिखा गया है ॥३८॥
(क्रमशः)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें