🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरु-उपदेश-ज्ञानाष्टक(ग्रन्थ १७) =*
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*= दोहा =*
*सुन्दर सद्गुरु सहज मैं, कीये पैली पार ।*
*और उपाइ न तीर सकै, भवसागर संसार ॥५॥*
कवि कहते हैं - सद्गुरु ने बेसहारा(असहाय) लोगों(भक्तजनों) को भवसागर से निकालकर अनायास ही उस पार, जहाँ ब्रह्म ही है और कुछ नहीं वहाँ, अपने उपदेश द्वारा पहुँचा दिया ॥५॥
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*= गीतक =*
*संसार सागर महा दुस्तर,*
*ताहि कहि अब कौ तरै ।*
*जो कोटि साधन करै कोऊ,*
*वृथा ही पचि पचि मरै ॥*
*जिनि बिना परिश्रम पार कीये,*
*प्रकट सुख के धांम हैं ।*
*दादू दयाल प्रसिद्ध सद्गुरु,*
*ताहि मोर प्रनांम हैं ॥४॥*
इस भवसागर को अन्तःकरण में अविद्यादि दुर्गुणों के रहते पार करना बहुत ही कठिन है ।
राग-द्वेष-मोहादि विकारों से मुक्त प्राणी करोड़ों ही उपाय क्यों न करें, वे इस के उस पार नहीं पहुँच सकते, उसका सारा श्रम(यम-नियम, तप या कठोर साधना) बिल्कुल व्यर्थ जायगा ।
परन्तु सद्गुरु ऐसे लोगों को भी अनायास ही अपने उपदेश के माहात्यम से(राममन्त्र की नौका देकर) पार पहुँचा देते हैं । सद्गुरु तो करुणा और सुख के अटूट भण्डार हैं ।
ऐसे सद्गुरु श्रीदादूदयाल जी महाराज के श्रीचरणों में मैं श्रद्धावनत हो बार-बार दण्डवत् प्रणाम करता हूँ ॥४॥
(क्रमशः)

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