🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरु-उपदेश-ज्ञानाष्टक(ग्रन्थ १७) =*
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*= दोहा =*
*सुन्दर सद्गुरु हाथ मैं, करडी लई कमांन ।*
*मार्यौ खैंचि कसीस करि, बचन लगाया बांन ॥३॥*
सद्गुरु ने मुझे सही रास्ते पर लगाने के लिये अपनी वाणीरूपी धनुष की प्रत्यञ्चा को खूब तेज खींचकर(उसके सहारे से) मुझको अपना उपदेशरूपी वाग्बाण जोर से मारा ॥३॥
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*= गीतक =*
*जिनि वचन बान लगाइ उर मैं,*
*मृतक फेरि जिवाइया ।*
*मुख द्वार होइ उचार करि,*
*निज सार अमृत पिवाइया ॥*
*अत्यन्त करि आनन्द मैं,*
*हम रहत आठौं जांम हैं ।*
*दादू दयाल प्रासिद्ध सद्गुरु,*
*ताहि मोर प्रनांम हैं ॥२॥*
जिस सद्गुरु ने अपना उपदेशरूपी वाग्बाण मेरे हृदय में मार कर मुझ मुर्दे को फिर से जीवित कर दिया, {मरे हुए को जिलाना एक चमत्कार है । यहाँ कवि को शिष्य का देह में अहंकार-ममकाररूपी अभिमान(= अध्यास) का नाश अभिप्रेत है ।}
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मैंने जीवित होकर(उपदेश द्वारा संसार की वास्तविकता समझकर) राममन्त्र का उच्चारण करते-करते परम तत्व(आत्मतत्व) पा लिया ।
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इस तरह जिसकी कृपा से अब मैं आठों पहर(दिन-रात) शाश्वत सुख में लीन रहता हूँ(और संसार के त्रिविध तापों से मुक्त हो चुका हूँ)...
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उन सदगुर श्रीदादूजी महाराज के चरण-कमलों में मेरा बार-बार दण्डवत् प्रणाम है ॥२॥
(क्रमशः)

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