#daduji
卐 सत्यराम सा 卐
*श्री दादू अनुभव वाणी*
टीका ~ संतकवि कविरत्न स्वामी नारायणदास जी महाराज, पुष्कर, राजस्थान ॥
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*साँच का अंग १३*
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सूधा मारग सांच का, सांचा हो सो जाइ ।
झूठा कोई ना चले, दादू दिया दिखाइ ॥१३६॥
सँतों ने सभी को सत्य का सरल मार्ग दिखा
दिया है किन्तु उसमें जो सच्चा होता है वही गमन करता है । झूठा कोई भी नहीं चल
पाता ।
साहिब सौं सांचा नहीं, यहु मन झूठा होइ ।
दादू झूठे बहुत हैं, सांचा विरला कोइ ॥१३७॥
प्राणियों का यह मन झूठे विषयों में लग
कर झूठा हो रहा है । सत्य परब्रह्म परायण होकर सच्चा नहीं रहता । उक्त प्रकार से
झूठे मन वाले, झूठे प्राणी सँसार में बहुत हैं । सत्य ब्रह्म - परायण मनवाला सच्चा साधक
कोई विरला ही है ।
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दादू सांचा अँग न ठेलिये, साहिब माने नाँहिं ।
सांचा शिर पर राखिये, मिल रहिये ता माँहिं ॥१३८॥
सत्य - स्वरूप को अन्त:करण से दूर न करो, सत्य के त्याग को
भगवान् अच्छा नहीं मानते । सँत, शास्त्र, सद्गुरु का सत्य ब्रह्म सम्बन्धी उपदेश शिरोधार्य समझ कर धारण करो और आत्म
रूप से उस परब्रह्म में ही मिल कर रहो=आत्मा को ब्रह्म भिन्न मत समझो ।
(क्रमशः)

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