🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
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*= गुरु-उपदेश-ज्ञानाष्टक(ग्रन्थ १७) =*
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*= दोहा =*
*दादू सद्गुरु सीस पर, उर मैं जिनकौ नाम ।*
*सुन्दर आये सरन तकि, तिन पायौ निज धाम ॥१॥*
(महाराज श्री सुन्दरदासजी कहते हैं --) सद्गुरु(श्रीदादूदयालजी महाराज) (मेरे श्रद्धातिशय के कारण) मेरे सिर-माथे पर विराजते हैं । अपने हृदय में उनका नाम मैं निरन्तर जपता रहता हूँ । जो इनकी शरण में आये उन्होंने(उनके ज्ञानोपदेश से) निज स्वरूप(ब्रह्मतत्व) को पा लिया ॥१॥
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*बहे जात संसार मैं, सद्गुरु पकरे केश ।*
*सुन्दर काढे डूबतें, दै अद्भुत उपदेश ॥२॥*
(वे फिर कहते हैं -) मैं तो इस संसार में बहा जा रहा था(बहते- बहते थक जाने के कारण), मेरे डूबने की बारी आ ही गयी कि मेरे सद्गुरु ने मेरे सिर के बाल पकड़ कर कृपापूर्वक मुझे उबार लिया और अद्भुत(लोकोत्तर) राममन्त्र का उपदेश देकर भवसागर से पार लगा दिया ॥२॥
(क्रमशः)

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