शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017

= नाम-अष्टक(ग्रन्थ २०-८) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*= नाम-अष्टक(ग्रन्थ २०) =*
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*जन्म तैं मृत्यु तैं, पुन्य तैं पाप तैं ।* 
*हर्ष तैं शोक तैं, शीत तैं ताप तैं ॥* 
*राग तैं दोष तैं, द्वन्द तैं, है परे ।* 
*सुन्दरे२ सुन्दरे सुन्दरे सुन्दरे ॥८॥*
(२. सुन्दरे = इस शब्द में ईश्वर और कवि दोनों के नाम बिदित होते हैं ।) 
॥ समाप्तोSयं नामाष्टक - ग्रन्थः ॥ 
श्री सुन्दरदासजी कहते हैं हे सुन्दर !(मनोहारिन्) आप सामान्य प्राणियों में दिखायी पड़ने वाले जन्म-मरण, पुण्य-पाप, हर्ष-शोक,(सुख-दुःख की) सर्दी-गर्मी, राग-द्वेष आदि द्वन्द्वों से एकदम दूर(रहित) हैं । अतः सभी प्राणियों के आप ही सर्वतोभावेन पूज्य हैं, उपास्य हैं, श्रद्धेय हैं ॥८॥ 
नाम की महिमा बतानेवाला अष्टक ग्रन्थ समाप्त । 
(क्रमशः)

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