शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017

= गुरुदेवमहिमा-स्तोत्राष्टक(ग्रन्थ १८- छ.३/४) =

🌷🙏🇮🇳 *#daduji* 🇮🇳🙏🌷
🙏 *श्री दादूदयालवे नमः ॥* 🙏
🌷 *#श्रीसुन्दर०ग्रंथावली* 🌷
रचियता ~ *स्वामी सुन्दरदासजी महाराज*
संपादक, संशोधक तथा अनुवादक ~ स्वामी द्वारिकादासशास्त्री
साभार ~ श्री दादूदयालु शोध संस्थान,
अध्यक्ष ~ गुरुवर्य महमंडलेश्वर संत श्री १०८ स्वामी क्षमारामजी महाराज
https://www.facebook.com/DADUVANI
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*गुरुदेव महिमा- स्तोत्राष्टक१ (ग्रन्थ १८)*
*हते काम क्रोधं तजे काल जालं,*
*भगे लोभ मोहं सर्व सालं ।* 
*नहीं द्वन्द कोऊ डरै हैं जमादू,*
*नमो देव दादू नमो देव दादू ॥३॥* 
इन्होंने अपने अन्तर के काम - क्रोध को मार डाला है, ये मृत्यु के पाश(बार-बार जन्म-मरण देनेवाले कर्मो) से दूर हट चुके हैं, इनके हृदय से सभी प्रकार के राग, द्वेष, लोभ, मोह समाप्त हो चुके हैं, इनके रास्ते के द्वन्द्वरूपी कण्टक या शंका-सन्देहरूपी शूल विनष्ट हो चुके हैं, ...
इनसे मौत भी डरती है(अर्थात् साधना द्वारा इन्होंने इच्छामृत्यु पद प्राप्य कर लिया है) ऐसे ब्रह्मदेवस्वरूप गुरु महाराज श्रीदयालु प्रभु को मेरा सादर दण्डवत सत्यराम(प्रणाम) है ॥३॥ 
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*गुणातीत देहादि इन्द्री जहाँ लौं,*
*किये सर्व संहार बैरी तहाँ लौं ।* 
*महा सूर बीरं नहीं को बिषादु,*
*नमो देव दादू नमो देव दादू ॥४॥*
ये तीनों गुणों(सत्त्व, रज, तम) से ऊपर उठ चुके हैं, इन्हें देहादि का कोई अभ्यास नहीं है, इन्होंने अपनी इन्द्रियों एवं मन पर इतना निग्रह कर लिया है । ये ज्ञानपक्ष के शत्रुभूत काम- क्रोधादि सभी दुर्गुणों का सर्वतोभावेन संहार कर चुके हैं । 
यों, इनको महान् शूरवीर कहा गया । ये संसार में उपेक्षाभाव से विचरण करते हैं, अतः ये विषाद(दुःख) के प्रभाव से मुक्त हैं । ऐसे गुरुदेव को मेरा प्रणाम है, मेरा प्रणाम है ॥४॥
(क्रमशः)

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